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वन भूमि पर मालिकाना हक मिलने से वनवासियों को मिली स्थिरता

कोरबा।  वनभूमि में काबिज वनवासियों को उनकी जमीन का मालिकाना हक मिलने से अनेक आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की जिंदगियां बदल रही है। अब ग्रामीण न...


कोरबा।  वनभूमि में काबिज वनवासियों को उनकी जमीन का मालिकाना हक मिलने से अनेक आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की जिंदगियां बदल रही है। अब ग्रामीण निश्चिंत होकर काबिज जमीन पर खेती कर अपना जीवन यापन कर रहें हैं और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रहे है।

कोरबा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत सिमकेन्दा के आश्रित ग्राम तीरतडाड़ की सविता बाई को वनाधिकार पत्र मिलने से उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया है। हितग्राही ने कहा कि पूर्वजों के काबिज जमीन का स्वामित्व अधिकार मिलने से उनके परिवार के भरण-पोषण की चिंता अब नहीं रह गई है। पीढ़ी दर पीढ़ी उनका परिवार इस जमीन पर कृषि कार्य करते आया है। इसी 0.526 हेक्टेयर भूमि का वन अधिकार पत्र उन्हें प्राप्त हुआ है। सविता कहती है कि रोजगार के अन्य साधन न होने के कारण वे अपने जीवन यापन के लिए मजदूरी एवं खेती पर ही निर्भर है।

लाभार्थी ने बताया कि पहले उन्हें काबिज भूमि से बेदखली का डर रहता था परंतु अब जमीन का मालिकाना हक मिलने से बेदखली का डर नहीं है। अब वे बिना किसी चिंता के उस जमीन पर खेती कर रहे हैं। वनाधिकार पट्टा मिलने के बाद सविता ने अपनी खेती को और बेहतर बनाने की दिशा में काम शुरू किया। अब उन्हें अपनी भूमि पर फसल उगाने का पूरा अधिकार मिल गया है और वे इसकी बेहतर देखभाल भी कर रही हैं। अपनी मेहनत से वह अपने परिवार की मदद कर रही हैं। उनके द्वारा धान के साथ ही मौसमी सब्जियों का उत्पादन भी किया जा रहा है। जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि हुई है। वनाधिकार पट्टा मिलने से सविता का न केवल डर समाप्त हुआ, बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत और कड़ी लगन से खुद को और अपने परिवार को एक नई दिशा दी है।

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