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नवंबर में बदल गए मनी ट्रांसफर से लेकर मैसेज ट्रेसिबिलिटी तक के कई नियम

नई दिल्ली। 1 नवंबर से मैसेज ट्रेसिबिलिटी और मनी ट्रांसफर से जुड़े कई नियमों में बड़े बदलाव हो गए हैं। ये बदलाव क्रेडिट कार्ड से लेकर मनी ट्र...



नई दिल्ली। 1 नवंबर से मैसेज ट्रेसिबिलिटी और मनी ट्रांसफर से जुड़े कई नियमों में बड़े बदलाव हो गए हैं। ये बदलाव क्रेडिट कार्ड से लेकर मनी ट्रांसफर और यूपीआई लाइट तक में किए जाएंगे, जिनका असर आम लोगों पर पड़ेगा।

यूपीआई लाइट का इस्तेमाल करने वाले पहले की तुलना में कर सकेंगे अधिक पेमेंट 

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लाइट प्लेटफॉर्म पर 1 नवंबर से दो बड़े बदलाव हो रहे हैं। इन बदलावों के कारण यूपीआई लाइट का इस्तेमाल करने वाले लोग पहले की तुलना में अधिक पेमेंट कर सकेंगे, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने इसकी ट्रांजेक्शन लिमिट बढ़ा दी है। 

मैन्युअल टॉपअप की जगह ऑटो टॉपअप फीचर शुरू 

इसी तरह दूसरे बदलाव के तहत 1 नवंबर से मैन्युअल टॉपअप की जगह ऑटो टॉपअप फीचर शुरू हो रहा है। ऐसा होने पर यूजर का यूपीआई लाइट बैलेंस तय सीमा से नीचे जाने की स्थिति में नए ऑटो टॉपअप फीचर से पैसे ऐड हो जाएंगे। इस तरह यूपीआई लाइट की मदद से बिना रुके पेमेंट किया जा सकेगा।

RBI द्वारा घरेलू स्तर पर मनी ट्रांसफर के लिए बनाए गए नए नियम भी आज से लागू 

इसी तरह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा घरेलू स्तर पर मनी ट्रांसफर के लिए बनाए गए नए नियम भी 1 नवंबर से लागू हो रहा है। इन नियमों की मदद से फ्रॉड के लिए बैंकिंग चैनल्स के दुरुपयोग पर रोक लगाई जा सकेगी। नवंबर से ही म्युचुअल फंड के नए इनसाइडर ट्रेडिंग के नियम भी लागू हो गए। इन नए नियमों के अनुसार ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियों के फंड में नामित किए गए लोगों और उनके करीबी रिश्तेदारों द्वारा किए गए 15 लाख रुपये से अधिक के ट्रांजेक्शन की जानकारी देना आवश्यक कर दिया गया है।

SBI ने अपने सभी अनसिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड पर फाइनेंस चार्ज को किया अपडेट

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपने सभी अनसिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड पर फाइनेंस चार्ज को अपडेट कर दिया है। 1 नवंबर से अनसिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड पर मासिक आधार पर 3.75 प्रतिशत की दर से फाइनेंस चार्ज लिया जाएगा। हालांकि ये फाइनेंस चार्ज डिफेंस जैसी कुछ खास श्रेणियों पर लागू नहीं होगा।

नियमों में जो बड़े बदलाव हो रहे हैं, उनमें एक बदलाव मैसेज ट्रेसिबिलिटी का भी है। मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम के तहत टेलीकॉम कंपनियां अपने स्तर पर फर्जी या संदिग्ध नंबरों की पहचान करके उन्हें ब्लॉक करेंगी, ताकि ऐसे संदिग्ध नंबरों द्वारा यूजर्स तक मैसेज की डिलीवरी ना हो सके। 

केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी करके देश की तमाम टेलीकॉम कंपनियों को मैसेज ट्रैकिंग लागू करके स्पैम मैसेज को ट्रैक करने और उनको ब्लॉक करने का निर्देश दिया है। ये नियम भी 1 नवंबर से लागू हो गए हैं। 

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