रायपुर। लोक आस्था का प्रमुख पर्व छठ धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। गुरुवार को रायपुर हृदय स्थल समता कॉलोनी स्थित आमातालाब में सायं...
रायपुर। लोक आस्था का प्रमुख पर्व छठ धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। गुरुवार को रायपुर हृदय स्थल समता कॉलोनी स्थित आमातालाब में सायं काल डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इस अवसर पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की भी की गई। छठ महापर्व पर छठ घाट पर उपस्थित महिलाएं संतान की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत भी रखी है। व्रती महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखी हैं और डूबते तथा उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित भी कर रही हैं। छठ महापर्व के तीसरे दिन, अर्थात् 07 नवंबर को, डूबते सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया गया। कल 8 नवंबर को, छठ के चौथे दिन प्रातः काल उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य अर्पित किया जाएगा।
छठ पूजा के तीसरे दिन, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि होती है, डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर, भक्तगण शाम के समय किसी जलाशय या नदी के किनारे खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करते हैं। इसके पीछे की मान्यता यह है कि सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं, और इस समय अर्घ्य अर्पित करने से जीवन की सभी समस्याएँ समाप्त होती हैं और इच्छाएं पूर्ण होती हैं। ऐसा करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि सूर्य का अस्त होना उस समय का प्रतीक है जब व्यक्ति की मेहनत और तपस्या का फल मिलने का समय होता है। मान्यता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में संतुलन, शक्ति और ऊर्जा का संचार होता है।
शास्त्रों में छठ माता को सूर्यदेव की बहन माना गया है। इस कारण से हर वर्ष छठ पर्व का भगवान सूर्य के साथ छठ माता की पूजा करने का विधान है। छठी माता हमेशा संतान की रक्षा करती हैं इसलिए इन्हें संतान की रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और सुखी जीवन के लिए छठ पर उपवास और पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी को छठ माता माना गया है। छठी माई ब्रह्राा जी मानस पुत्री हैं। एक मान्यता है कि देवी सीता, कुंती और द्रोपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था। इसके कारण से छठ पूजा का विशेष महत्व होता है।
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