रायपुर। संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर के आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 में जारी पंचाह्निका महोत्सव के पांचवे अंतिम दिन संयम उपकरणों की आराधना ...
रायपुर। संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर के आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 में जारी पंचाह्निका महोत्सव के पांचवे अंतिम दिन संयम उपकरणों की आराधना की गई। यह आयोजन रायपुर पुत्र रत्न तपस्वी मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा.के संयम रजत वर्ष के निमित्त हुआ। इस अवसर संयम उपकरणों एवं ज्ञान साहित्यों की प्रदर्शनी आयोजित की गई।
समाज के सभी श्रावक- श्राविकाओं ने अवलोकन कर इनके महत्व को जाना। इस पावन मौके पर मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. ने संयम उपकरणों की महत्ता को बताया। मुनिश्री ने कहा कि दीक्षा के समय मुमुक्षु को संयम जीवन के सारे उपकरण दिया जाता है। दीक्षा के समय रजोहरण जरूर दिया जाता है लेकिन एक रजोहरण मिल जाने से दीक्षा के सारे उपकरण नहीं मिलते। रजोहरण के साथ सभी उपकरणों को प्रदान किया जाता है। संयम जीवन के सारे उपकरण मुमुक्षु को प्रदान किए जाते हैं।
सभी का बड़ा महत्व है। मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने कहा कि आज संयम के उपकरणों को हम वंदना कर रहे हैं। आज सभी की नजर के समक्ष संयम के एक-एक उपकरण हैं। इन उपकरणों का महत्व न केवल साधु के लिए बल्कि समस्त श्रावकों के लिए भी है। प्रत्येक श्रावक भी साधु जीवन का उम्मीदवार है। यदि साधु जीवन का उम्मीदवार बने रहना है तो उपकरणों का सत्संग भी जरूरी है। गुरु का सत्संग, साहित्य का सत्संग,इसी तरह से उपकरणों का सत्संग भी करना जरूरी है। उपकरण ही आपको याद दिलाएंगे कि मैं साधु जीवन का उम्मीदवार हूं।
मुनिश्री ने कहा कि प्रत्येक श्रावक के घर में एक रजोहरण होना ही चाहिए। रजोहरण ही श्रावक को हमेशा लक्ष्य याद दिलाएगा कि इसे एक दिन मुझे लेना ही है,इसके बिना तीर्थंकरों का भी उद्धार नहीं हुआ। ऐसे अनेक उपकरण आंख में आएंगे तब वह आपको याद दिलाएंगे की मेरा असली स्वरूप यही है। मैं सच में साधु जीवन का उम्मीदवार हूं। आज नहीं तो कल लेकिन मुझे साधु जीवन और इन उपकरणों को अंगीकार करना है, उसे ग्रहण करना है तो ऐसे उपकरणों की वंदना आज वसंत उत्सव का पांचवा दिन है। इसी के साथ रायपुर के पुत्ररत्न मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. के संयम रजत वर्ष का शुभ अवसर है,इसका आज उत्सव है।
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