अंबिकापुर। सरगुजा जिले में गुरुवार सुबह परसा कोल ब्लॉक के पास ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसक संघर्ष हो गया, जिसमें टीआई, एसआई, प्रधान आरक्ष...
अंबिकापुर। सरगुजा जिले में गुरुवार सुबह परसा कोल ब्लॉक के पास ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसक संघर्ष हो गया, जिसमें टीआई, एसआई, प्रधान आरक्षक और कोटवार सहित छह पुलिसकर्मी घायल हो गए। यह घटना उस वक्त हुई जब पुलिस की मौजूदगी में पेड़ों की कटाई की जा रही थी, जिसका सैकड़ों ग्रामीण विरोध कर रहे थे।
जानकारी के अनुसार, सरगुजा जिले के परसा कोल ब्लॉक में पुलिस की सुरक्षा में पेड़ों की कटाई का काम चल रहा था, जिसका सैकड़ों ग्रामीण विरोध कर रहे थे। स्थिति तब बिगड़ गई जब पुलिस और ग्रामीणों के बीच तनाव बढ़ा और संघर्ष शुरू हो गया। ग्रामीणों ने पुलिस पर तीर-धनुष, गुलेल और पत्थरों से हमला कर दिया। इस हमले में 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें टीआई, एसआई और प्रधान आरक्षक शामिल हैं। घटना के बाद से परसा गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
परसा कोल ब्लॉक और आसपास की खदानें राजस्थान सरकार को आवंटित की गई हैं, और अडानी समूह इन खदानों का संचालन करता है। इन खदानों से निकाला गया कोयला मुख्य रूप से अडानी समूह के बिजली संयंत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। परसा और अन्य खदानों में कोयला खनन के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हो रही है। जानकारी के अनुसार, परसा ईस्ट केते बासन खदान में करीब 2.47 लाख और परसा खदान में लगभग 96,000 पेड़ काटे जाने हैं।
इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने कटाई और खनन का कड़ा विरोध किया है। संगठन का कहना है कि परसा कोल ब्लॉक के लिए दी गई वन और पर्यावरणीय स्वीकृतियां फर्जी दस्तावेजों पर आधारित हैं, जिन्हें तत्काल रद्द किया जाना चाहिए। हसदेव अरण्य को मध्य भारत का "फेफड़ा" कहा जाता है, और यहां की हरियाली व जल स्रोतों का संरक्षण बेहद जरूरी है। आदिवासी सदियों से इन जंगलों की सुरक्षा कर रहे हैं, जिससे आज भी बिलासपुर और कोरबा जैसे शहरों को स्वच्छ पानी मिल रहा है। घटना के बाद इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है, और प्रशासन ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया है।
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