सूरजपुर। अविभाजित सरगुजा जिला का सबसे पुराना कोल माइंस कुम्दा का भूमिगत कोयला खदान है। जो अब सूरजपुर जिला के अन्तर्गत आता है। कोल माइंस होने...
सूरजपुर। अविभाजित सरगुजा जिला का सबसे पुराना कोल माइंस कुम्दा का भूमिगत कोयला खदान है। जो अब सूरजपुर जिला के अन्तर्गत आता है। कोल माइंस होने के कारण इस क्षेत्र का सर्वाधिक विकास भी हुआ। पर प्रदुषण का प्रभाव भी कम नहीं है। रोड़ में कोयले का धुल-धुआं से पुरा जनजीवन प्रभावित रहता है । हवा में हमेशा कोयला के कण मौजूद रहते हैं। रोजगार के संसाधन तो है जिससे लोगों के पास नगदी रकम भी भरपूर मात्रा में रहता है। नशापानी का उपयोग भी देखने को मिलता है।
धुलधुसरित हवा और नशीली पदार्थों का सेवन से कई प्रकार के बिमारियों का जन्म होना स्वाभाविक सी बातें हैं इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर डॉ रोहित व्यास के दिशा-निर्देशन और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर एस सिंह डीपीएम डॉ प्रिंस जायसवाल डीटीओ डॉ जे एस आर सरूता के मार्गदर्शन में कोल माइंस क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाकर टीबी का स्क्रीनिंग किया जा रहा है।
जिला क्षय उन्मूलन केन्द्र सूरजपुर के डीपीसी संजीत कुमार, पिरामल फाउंडेशन के महेन्द्र तिवारी और राज नारायण द्विवेदी ने संयुक्त रूप से कोल माइंस के उच्च अधिकारियों से मिलकर कार्ययोजना बनाया। फिर विभाग की आन्तरिक बैठक में उच्च अधिकारियों के समक्ष चर्चा किया।
उसके बाद इस गतिविधि को मुर्तरूप दिया गया। और आरबीएसके टीम के डॉ प्रशांत कुमार सिंह के नेत्रित्व में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। आरबीएसके टीम और पिरामल फाऊंडेशन के लोग सुबह सात बजें कोल माइंस कुम्दा में पहुंच कर एक एक लोगों का स्क्रीनिंग किया। फिर फाल्कन ट्यूब में लोगों का बलगम लिया और सूरजपुर डीएमसी में जांच के लिए भेजा। कोल माइंस के अधिकारी कर्मचारी भी भरपूर सहयोग किये ।
कोल माइंस के स्वास्थ्य टीम आसपास के लगभग दस गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाती है उस शिविर में अब टीबी का भी स्क्रीनिंग किया जायेगा। टीबी मुक्त भारत के निर्माण में कोल माइंस सहयोग करेगा। डीटीसी अब ऐसे कैम्पों पर विशेष फोकस कर टीबी के सम्भावित व्यक्तियों का खोज करना प्रारंभ कर दिया है।एक्टीव केश फाइंडिंग की गतिविधियों से सूरजपुर में जांच बढ़ा हैं। कुम्दा कोल माइंस शिविर में डॉ प्रशांत कुमार सिंह, डॉ लोकेश्वरी साव, मो. इमरान, अनुप कुमार विश्वास, पुर्णिमा, महेन्द्र तिवारी, राज नारायण द्विवेदी एवं कमलेश कुमार यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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