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करणी सेना अध्यक्ष द्वारा शुरु की गई परंपरा ले रही विशाल रूप, खारुन गंगा महाआरती में उमड़ी हज़ारों श्रद्धालुओं की भीड़

  दिनांक 30 सितंबर 2023 | महादेव घाट, रायपुर में भाद्रपद पूर्णिमा की संध्या को खारुन गंगा महाआरती एवं हटकेश्वर महादेव पूजन संपूर्ण विधि विधा...

 


दिनांक 30 सितंबर 2023 | महादेव घाट, रायपुर में भाद्रपद पूर्णिमा की संध्या को खारुन गंगा महाआरती एवं हटकेश्वर महादेव पूजन संपूर्ण विधि विधान से संपन्न हुआ। करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा गत दिसंबर माह से आरंभ की गई यह परंपरा जिसमें प्रत्येक माह की पूर्णिमा की संध्या को बनारस की तर्ज पर इस महाआरती का आयोजन किया जाता है निरंतर क्रम में 11वीं बार संपन्न हुई जिसमें शहर भर के श्रद्धालुओं की भारी संख्या में उपस्थिति रही। करणी सेना परिवार छत्तीसगढ़ एवं माँ खारुन गंगा महाआरती महादेव घाट जनसेवा समिति द्वारा आयोजित यह महाआरती हमेशा की भाँति भजनों की सुमधुर प्रस्तुति से सराबोर रही जिसने समस्त आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आरती से पूर्व सभी ने साथ मिलकर एक स्वर में खारुन एवं भारत की समस्त नदियों को मातृ स्वरूप मानकर स्वच्छ एवं सुरक्षित रखते हुए कृतज्ञता व्यक्त करने की शपथ ली। 



खारुन गंगा मैया एवं हटकेश्वर महादेव जी की आरती प्रशिक्षित ब्राह्मणों की अगुवाई में सम्पूर्ण विधि-विधान से अगरबत्ती, धूप, पुष्प एवं दीपक द्वारा संपन्न हुई। साथ ही घाट में एक ओर शहर के विभिन्न गणपति जी की विदाई का दृश्य भी क्रमशः दृष्टित होता रहा। इस बार की आरती में विशेष रूप से रायपुर शहरी क्षेत्र की मितानिन बहनों का उनके द्वारा निरंतर किये जा रहे सामाजिक कार्यों के लिए सम्मान किया गया, जिसमें सुमन साहू जी,  हेमप्रभा साहू जी, आदि अनेकों माताओं-बहनों की उपस्थिति रही। आगंतुक श्रद्धालुओं को दीप उपलब्ध कराए गए, जिन्हें आरती के पश्चात् विघ्नहर्ता की विदाई स्वरूप नदी को समर्पित कर दिया गया। कार्यक्रम के अंत में आगंतुक श्रद्धालुओं को खीर प्रसादी का वितरण किया गया। 

 तोमर के अनुसार उन्होंने जिस संकल्प के साथ इस मुहिम की शुरुआत की थी वो आज एक विशाल महापर्व के रूप में सफ़ल होती दिखाई दे रही है। खारुन गंगा आरती की ख्याति से प्रभावित होकर प्रदेश भर में अन्य स्थानों से भी इस प्रकार के आयोजनों की सूचना मिलने लगी है जिससे यह कहा जा सकता है कि करणी सेना अध्यक्ष द्वारा शुरु की गई यह परंपरा एक मुहिम का रूप लेती जा रही है साथ ही इससे नदियों की स्वच्छता के प्रति जनमानस में प्रतिबद्धता भी नज़र आने लगी है।

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