रायपुर: बिना वाद्य यंत्रों के भी नागालैंड के लोक कलाकारों ने युद्ध के पश्चात विजय से लौट रही सेनाओं के अपूर्व उत्साह का प्रदर्शन करती सेना क...
रायपुर: बिना वाद्य यंत्रों के भी नागालैंड के लोक कलाकारों ने युद्ध के पश्चात विजय से लौट रही सेनाओं के अपूर्व उत्साह का प्रदर्शन करती सेना की अभिव्यक्ति अपने सुंदर नृत्य के माध्यम से दी। माकू हिमीशी का प्रदर्शन नागा पुरुषों द्वारा शिकार में सफलता मिलने के बाद अथवा लड़ाई में विजय के पश्चात किया जाता है। जैसे छत्तीसगढ़ में गौर नृत्य होता है उसी प्रकार नागालैंड में शिकार अथवा लड़ाई में सफलता मिलने पर जश्न खास लोकनृत्य के माध्यम से मनाया जाता है। इसमें अपने पारंपरिक अस्त्र शस्त्र से सजे पुरुष जीत की अभिव्यक्ति लोक नृत्य के माध्यम से करती हैं। उनके परिवार की महिलाएं उनका उत्साह बढ़ाने स्वागत में नृत्य करती हैं और चारों तरफ उत्साह का वातावरण बन जाता है। उल्लेखनीय है कि विजय से उपजा उत्साह इतने अतिरेक में होता है कि लोकधुन के लिए गुंजाइश ही नहीं होती और यह उत्साह पूरे माहौल में खुशियां बिखेर जाता है।
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव
इस नृत्य की खासियत है लोककलाकारों की वेशभूषा। पारंपरिक नागा परिधान के साथ इनकी टोपियां इस प्रकार से थीं जैसे रोमन सैनिकों की होती थी। कोई भी यूरोप का दर्शक यदि इस नृत्य को देखे तो महसूस करेगा कि जूलियस सीजर के युद्ध से लौटने का दृश्य है और उसका स्वागत अभूतपूर्व उत्साह और परंपरागत ढंग से हो रहा है। इस नृत्य ने दर्शकों के बीच अपनी खास जगह छोड़ी।
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