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कल देश भर में किसान विरोधी अध्यादेशों की प्रतियां जलाएगी किसान सभा

रायपुर । अखिल भारतीय किसान सभा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है। जिसके अनुसार अखिल भारतीय किसान सभा ने 10 जून को देशव्यापी प्रदर्शन क...

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है। जिसके अनुसार अखिल भारतीय किसान सभा ने 10 जून को देशव्यापी प्रदर्शन कर केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गए तीन किसान विरोधी - जन विरोधी अध्यादेशों की प्रतियां जलाने का आव्हान किया है।  कल 26 किसान संगठनों की राज्यव्यापी विरोध कार्यवाहियों में हिस्सा लेते हुए छत्तीसगढ़ किसान सभा की भी सभी इकाईयां पूरे देश के किसानों के साथ मिलकर इन अध्यादेशों की प्रतियां जलायेंगी। यह जानकारी छग किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते तथा महासचिव ऋषि गुप्ता ने दी।

उल्लेखनीय है कि कल के प्रदेशव्यापी किसान आंदोलन का एक ज्वलंत मुद्दा इन अध्यादेशों का विरोध करना भी है। 

आज यहां जारी एक बयान में किसान सभा नेताओं ने कहा कि 3 जून को हुयी केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक ने मंडी कानून व आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म करने तथा ठेका खेती को कानूनी दर्जा देने के लिए अध्यादेश जारी करने का जो फैसला किया है, उसने कृषि व्यापार करने वाली बड़ी कंपनियों तथा बड़े आढ़तियों के लिए किसान की लूट का रास्ता साफ़ कर दिया है। इस तरह सरकार न केवल खाद्यान्न तथा कृषि उपज खरीदी से लगभग पूरी तरह बाहर हो गयी है, बल्कि उसने न्यूनतम समर्थन मूल्य की बची-खुची संभावनाएं भी चौपट कर दी हैं। 

उन्होंने कहा कि ठेका खेती की देश मे इजाजत दिए जाने से किसानों के पुश्तैनी अधिकार छीन जाने का खतरा पैदा हो गया है। अब कॉर्पोरेट कंपनियां किसानों को अपनी मर्ज़ी और आवश्यकतानुसार खेती करने को बाध्य करेंगी। इससे छोटे किसान खेती-किसानी से बाहर जो जाएंगे और भूमिहीनता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मोदी सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम को समाप्त कर सारे प्रतिबंध उठाने से कालाबाजारी और जमाखोरी जायज हो जाएगी और नागरिकों की खाद्यान्न सुरक्षा भी संकट में पड़ जाएगी। देश भर में मंडियों को खत्म करने से किसान फसलों के वाजिब भाव से वंचित तो होंगे ही, मंडियों में काम करने वाले लाखों मजदूर भी बेरोजगार हो जाएंगे। किसान सभा नेताओं ने कहा कि ये तीनों अध्यादेश खेती-किसानी को बर्बाद करने वाले, किसानों को कार्पोरेटों का गुलाम बनाने वाले तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ध्वस्त करने वाले अध्यादेश हैं, जिन्हें तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

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